बस्तर क्षेत्र का प्रारंभिक इतिहास: गोंड जनजाति और काकतीय शासक

बस्तर क्षेत्र का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

बस्तर क्षेत्र, भारतीय उपमहाद्वीप का एक समृद्ध और विविधित क्षेत्र है, जो अपने शुरुआती इतिहास में गोंड जनजातियों का गढ़ था। गोंड जनजाति ने इस क्षेत्र में स्वतंत्रता के साथ शासन किया और उनकी सांस्कृतिक धरोहर आज भी देखने को मिलती है।

गोंड जनजाति का प्रभाव

प्रारंभिक कल में, बस्तर क्षेत्र में गोंड जनजातियों का प्रभुत्व था। इन जनजातियों ने यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर उपयोग किया। उनकी नागरिक नीतियों और सामाजिक संरचना ने क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को निर्माण किया। गोंड जनजाति की परंपराएं और रीति-रिवाज आज भी क्षेत्र के लोगों में फैले हैं।

काकतीय वंश का शासन

कालांतर में, काकतीय वंश के शासक बस्तर पर शासन करने लगे। इस वंश ने बस्तर क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दंतेवाड़ा में स्थित माँ दंतेश्वरी मंदिर इस वंश की शासनकाल की एक प्रमुख धरोहर है। मंदिर की स्थापत्य कला और गंभीरता इसे क्षेत्र का एक प्रमुख धार्मिक केन्द्र बनाती है, जो आज भी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है।

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