
महाजनपद काल और दक्षिण कौशल
महाजनपद काल में छत्तीसगढ़ दक्षिण कौशल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। दक्षिण कौशल, जो कौशल महाजनपद के दक्षिणी क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, का व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान था। महानदी घाटी के क्षेत्र ने प्राकृतिक संसाधनों और व्यापारिक गतिविधियों के कारण समृद्धि को अनुभव किया। यह ऐतिहासिक काल न केवल व्यापार बल्कि सांस्कृतिक समागम का भी गवाह था।बौद्ध एवं जैन धर्म का प्रभाव
इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या काफी प्रचुर थी। सम्राट अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म का व्यापक प्रचार हुआ। सिरपुर, ताला और मल्हार जैसे स्थानों से बौद्ध विहारों के अवशेष प्राप्त हुए हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि बौद्ध संस्कृति यहां कितनी गहरे तक फैली हुई थी।जैन धर्म का विकास
इसके अलावा, जैन धर्म भी दक्षिण कौशल में महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में उभर कर आया। बस्तर और रायगढ़ जैसे स्थानों से जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ मिली हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि जैन संस्कृति ने भी इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। महाजनपद काल के दौरान छत्तीसगढ़ का यह क्षेत्र सांस्कृतिक समृद्धता और धार्मिक 다양ता का एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है।
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