प्राचीन छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और धर्म

प्राचीन धर्मों का प्रभाव

प्राचीन कालीन छत्तीसगढ़ की संस्कृति में धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान था। प्रारंभिक काल में जनजातीय धर्म प्रमुख था, जो स्थानीय परंपराओं और विश्वासों पर आधारित था। इसके बाद बौद्ध धर्म, जैन धर्म और वैष्णव धर्म का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ा। साथ ही, शैव धर्म ने भी इस क्षेत्र में अपनी जड़े जमाई। यह धर्म न केवल आस्था का प्रतीक था, बल्कि स्थानीय जनजीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता था।

कला और स्थापत्य का प्रतीक

छत्तीसगढ़ में कला और स्थापत्य का उदय उत्कृष्टता का परिचायक है। सिरपुर, मल्हार, ताला और रतनपुर जैसे स्थलों पर अनेक मंदिर, मूर्तियाँ और विहार का निर्माण किया गया। सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर नागर शैली में निर्मित है, और इसे गुप्तकालीन स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। इन स्थानों की कलात्मकता ने इस क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया है।

साहित्य का विकास

साहित्य के क्षेत्र में प्राचीन छत्तीसगढ़ ने भी महत्वपूर्ण अवदान किया। संस्कृत और प्राकृत भाषा का प्रयोग यहाँ के साहित्य में प्रमुखता से होता था। विशेष रूप से सिरपुर से प्राप्त ताम्रपत्रों में संस्कृत भाषा में लिखित अभिलेख इसकी पुष्टि करते हैं। ये अभिलेख न केवल साहित्यिक मूल्य रखते हैं, बल्कि उस दौर की संस्कृति और समाज के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

WhatsApp
Telegram
Facebook

You cannot copy content of this page

Scroll to Top