जानिए CHIRAG योजना की पूरी जानकारी – उद्देश्य, लाभ, सहायता राशि, कार्य क्षेत्र, शामिल जिले और विविध आयमूलक गतिविधियाँ। पढ़ें परीक्षा के लिए उपयोगी तथ्य।
📌 परिचय
छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा किसानों की आय में वृद्धि, सतत् आजीविका और समग्र ग्रामीण विकास को ध्यान में रखते हुए चिराग परियोजना (CHIRAG – C.G. Inclusive Rural and Accelerated Agriculture Growth) की शुरुआत की गई। यह परियोजना 24 नवंबर 2021 को आरंभ की गई थी और इसमें विश्व बैंक की भी महत्वपूर्ण भागीदारी है।
🎯 उद्देश्य
चिराग परियोजना का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ के किसानों की आमदनी में वृद्धि करना है। इसके तहत कृषि के साथ-साथ विविध आयमूलक गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जाता है, ताकि किसानों की निर्भरता केवल फसल उत्पादन पर न रहे।
🌐 परियोजना के प्रमुख तथ्य
घटक | विवरण |
---|---|
🔹 आरंभ तिथि | 24 नवंबर 2021 |
🔹 सहायता स्रोत | विश्व बैंक से ₹730 करोड़ की सहायता राशि |
🔹 कार्य क्षेत्र | 15 जिले, 27 विकासखंडों में लागू |
🔹 संचालन संस्था | छत्तीसगढ़ राज्य शासन |
🌾 परियोजना के प्रमुख घटक
चिराग परियोजना केवल कृषि पर केंद्रित नहीं है, बल्कि यह किसानों को विविध आय के स्त्रोत प्रदान करने के उद्देश्य से निम्नलिखित क्षेत्रों में भी कार्य करती है:
कृषि विकास
उन्नत बीज, सिंचाई सुविधा, जैविक खेती, तकनीकी प्रशिक्षण
पशुपालन
डेयरी, पशु चिकित्सा सुविधाएं, चारा विकास
मछली पालन
तालाब निर्माण, उन्नत नस्लों की आपूर्ति
कुक्कुट पालन (पोल्ट्री)
मुर्गी पालन प्रशिक्षण, विपणन सुविधा
मशरूम उत्पादन
स्वरोजगार के लिए मशरूम यूनिट्स
स्वयं सहायता समूहों (SHG) का सशक्तिकरण
महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ाना
📍 परियोजना से जुड़े जिले
चिराग परियोजना को छत्तीसगढ़ के 15 जिलों के 27 विकासखंडों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया है। यह जिले मुख्यतः आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों को कवर करते हैं, जिनमें किसानों की आजीविका पारंपरिक कृषि पर निर्भर रही है।
💡 विशेषताएँ
समावेशी दृष्टिकोण – महिला, अनुसूचित जाति/जनजाति और छोटे किसानों को प्राथमिकता
बहु-आयमूलक विकास – कृषि के साथ-साथ पशुपालन, मछलीपालन आदि
तकनीक और नवाचार पर जोर – स्मार्ट कृषि, प्रशिक्षण, और आधुनिक साधन
साझेदारी मॉडल – विश्व बैंक और राज्य सरकार का संयुक्त प्रयास
🔍 निष्कर्ष
चिराग परियोजना केवल एक कृषि योजना नहीं, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाया गया एक सशक्त कदम है। यह परियोजना न केवल पारंपरिक कृषि को सशक्त करती है, बल्कि विविध आय स्रोतों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करती है।