महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) भारत की पहली ऐसी योजना है, जो कानूनी रूप से ग्रामीण गरीबों को रोजगार की गारंटी देती है। इसका उद्देश्य ग्रामीण बेरोजगारी को समाप्त कर स्थायी आजीविका सुनिश्चित करना है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह योजना एक साथ पूरे देश में नहीं, बल्कि तीन चरणों में लागू की गई थी?
आइए जानते हैं कि MGNREGA की यह ऐतिहासिक योजना कैसे चरणबद्ध तरीके से पूरे भारत और विशेष रूप से छत्तीसगढ़ में विस्तारित हुई।
🗓️ मनरेगा का चरणबद्ध क्रियान्वयन
🔹 प्रथम चरण – 2 फरवरी 2006
योजना की शुरुआत देश के 200 सबसे पिछड़े जिलों में की गई।
छत्तीसगढ़ के जिन 11 जिलों में यह योजना प्रारंभ हुई, वे हैं:
बस्तर
दंतेवाड़ा
कांकेर
सरगुजा
जशपुर
कोरिया
रायगढ़
बिलासपुर
कवर्धा
राजनांदगांव
धमतरी
🔹 द्वितीय चरण – 1 अप्रैल 2007
योजना को देश के अतिरिक्त 130 जिलों में विस्तारित किया गया।
छत्तीसगढ़ के 4 नए जिले जोड़े गए:
रायपुर
महासमुंद
जांजगीर
कोरबा
🔹 तृतीय चरण – 1 अप्रैल 2008
योजना को देश के सभी जिलों में लागू कर दिया गया।
इसके तहत दुर्ग समेत छत्तीसगढ़ के सभी शेष जिलों में योजना का क्रियान्वयन प्रारंभ हुआ।
🗺️ मनरेगा की शुरुआत – विशेष जानकारी
स्थान: आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले से योजना की प्रतीकात्मक शुरुआत की गई थी।
आरंभ: डॉ. मनमोहन सिंह (प्रधानमंत्री) और श्रीमती सोनिया गांधी (कांग्रेस अध्यक्ष) द्वारा।
🔄 नाम परिवर्तन
प्रारंभ में योजना का नाम था – “राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA)”
दिनांक 02 अक्टूबर 2009 से इसका नाम बदलकर “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)” कर दिया गया।
🛠️ योजना की मुख्य बातें
बिंदु | विवरण |
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🎯 उद्देश्य | ग्रामीण परिवार को प्रति वर्ष 100 दिन का रोजगार देना |
🏢 क्रियान्वयन विभाग | भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा राज्य सरकार |
🧑🤝🧑 पात्र लाभार्थी | ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे परिवार जिनके वयस्क सदस्य अकुशल श्रमिक हों |
📅 कार्य दिवस | वर्ष में 100 दिन (छत्तीसगढ़ में 150 दिन) |
💰 अतिरिक्त खर्च | 100 दिन के बाद 50 दिन की मजदूरी का वेतन राज्य सरकार देती है |
📍 छत्तीसगढ़ में विशेष प्रावधान
छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2013-14 से MGNREGA के तहत 150 दिन का रोजगार देने की व्यवस्था की है।
इसके तहत अतिरिक्त 50 दिनों का वित्तीय बोझ राज्य सरकार वहन करती है।
इससे मजदूरों को स्थायी आय का स्रोत मिला और प्रवासी मजदूरों की वापसी के बाद राहत भी सुनिश्चित हुई।
📖 परीक्षा उपयोगी तथ्य (Quick Revision Table)
बिंदु | विवरण |
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योजना की शुरुआत | 2 फरवरी 2006, अनंतपुर (आंध्रप्रदेश) |
प्रारंभिक नाम | NREGA |
नाम परिवर्तन | 2 अक्टूबर 2009 (MGNREGA) |
छत्तीसगढ़ में प्रथम चरण | 11 जिले (2006) |
द्वितीय चरण | 4 जिले (2007) |
तृतीय चरण | सभी जिले (2008) |
रोजगार गारंटी | 100 दिन (150 दिन छत्तीसगढ़ में) |
अतिरिक्त भुगतान | राज्य सरकार द्वारा |
🧾 निष्कर्ष
MGNREGA केवल एक योजना नहीं, बल्कि गांवों की रीढ़ है। इसका चरणबद्ध विस्तार दिखाता है कि भारत सरकार ने इसे कितना सोच-समझकर और गंभीरता से लागू किया। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य, जहाँ बड़ी जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, के लिए यह योजना रोजगार, आत्मनिर्भरता और स्थायित्व की नई राह लेकर आई है।