मुख्यमंत्री पंचायत सशक्तिकरण योजना: सशक्त पंचायत, समृद्ध गांव
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 में शुरू की गई ‘मुख्यमंत्री पंचायत सशक्तिकरण योजना’ का मुख्य उद्देश्य त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाना है। इस योजना के अंतर्गत निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को प्रशासनिक, वित्तीय और सामाजिक दृष्टि से जागरूक व दक्ष बनाया जाता है, जिससे वे अपने-अपने क्षेत्रों में बेहतर निर्णय ले सकें और सुशासन स्थापित कर सकें।
📅 योजना की शुरुआत
योजना का नाम: मुख्यमंत्री पंचायत सशक्तिकरण योजना
प्रारंभ वर्ष: 2015-16
क्रियान्वयन: पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार
🎯 उद्देश्य
त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करना।
पंचायत प्रतिनिधियों में सशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना विकसित करना।
स्थानीय विकास कार्यों की गुणवत्ता बढ़ाना।
पंचायती प्रतिनिधियों को वित्तीय प्रबंधन, योजनाओं की मॉनिटरिंग एवं जनभागीदारी के लिए दक्ष बनाना।
🏛️ प्रशिक्षण की संरचना
मुख्यमंत्री पंचायत सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण तीन स्तरों पर प्रदान किया जाता है:
स्तर | विवरण |
---|---|
जिला स्तर | जिला पंचायत सदस्यों एवं वरिष्ठ पंचायत प्रतिनिधियों को नीति निर्माण और योजना क्रियान्वयन का प्रशिक्षण |
जनपद स्तर | जनपद पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों को कार्यप्रणाली, योजनाओं की समीक्षा, व निधियों के उपयोग पर प्रशिक्षण |
ग्राम पंचायत स्तर | सरपंच, उपसरपंच और वार्ड सदस्यों को ग्राम विकास, सामाजिक जवाबदेही व लोक सेवाओं की निगरानी का प्रशिक्षण |
📌 योजना का महत्व
पंचायत प्रतिनिधि निरंतर अद्यतन जानकारी से लैस रहते हैं।
स्थानीय प्रशासन और योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आती है।
ग्राम पंचायतें विकास की मूल इकाई के रूप में प्रभावी भूमिका निभा पाती हैं।
नवाचार, पारदर्शिता व भागीदारी को बढ़ावा मिलता है।
📝 निष्कर्ष
मुख्यमंत्री पंचायत सशक्तिकरण योजना छत्तीसगढ़ सरकार की एक दूरदर्शी पहल है, जो ग्राम स्वराज की भावना को मजबूत करती है। इस योजना से जनप्रतिनिधि न केवल शासन की बारीकियों को समझते हैं, बल्कि वे अपने गांव और क्षेत्र को विकास की नई ऊँचाइयों तक ले जाने में सक्षम बनते हैं।
📢 यदि आप एक जनप्रतिनिधि हैं, तो इस योजना के प्रशिक्षण सत्रों में भाग अवश्य लें और अपने क्षेत्र के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएं।